राजस्थान रॉयल्स के ट्रेनिंग सेशन के दौरान चेतन सकारिया गेंदबाज़ी करते हुए
© स्टीव डिसूजा
Cricket

5 आवश्यक ट्रेनिंग ड्रिल्स जिसकी प्रैक्टिस हर तेज गेंदबाज़ को करनी चाहिए

मुंबई के तेज गेंदबाज़ तुषार देशपांडे ने उन पांच ड्रिल्स की सूची बनाई है जिन्हें तेज गेंदबाज़ों को अपने कौशल को और बेहतरकरने के लिए अपनी रूटीन में शामिल करना चाहिए.
उमैमा सईद (मूल अंग्रेजी से अनुवादित लेख) द्वारा लिखित
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तुषार देशपांडे 25 वर्षीय तेज गेंदबाज़ हैं जो घरेलू क्रिकेट में मुंबई के लिए खेलते हैं.
वह दुनिया के सबसे बड़े टी20 टूर्नामेंट में दिल्ली फ्रेंचाइजी का भी हिस्सा रहे हैं और जल्द ही दोबारा वापसी की उम्मीद करते हैं.
तुषार ने भारत की डोमेस्टिक क्रिकेट सर्किट में जमकर पसीना बहाया है और बढ़ते अनुभव के साथ अब वे यह समझ चुके हैं की एक टॉप तेज गेंदबाज़ बनने के लिए कैसी तैयारी करनी चाहिए.
वे जानते हैं की फिटनेस और स्ट्रेंथ एक्सरसाइज किसी भी तेज गेंदबाज़ के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि तेज गेंदबाज़ का चोटिल होने का हमेशा खतरा बना रहता है.
"जब मैं एक नौसिखिया था, केवल एक चीज जो मुझे फिटनेस के बारे में पता थी, वह थी रनिंग और स्प्रिंट. इसे मैं हफ्ते में तीन बार करता था. लेकिन फर्स्ट क्लास क्रिकेट और फ्रेंचाइजी क्रिकेट खेलने के बाद, मैंने अपने शरीर को बेहतर ढंग से समझा है और यह भी समझा की गेंदबाज़ी को प्रभावी बनाने के लिए और क्या कुछ करना चाहिए. अब ट्रेनिंग अगले टूर्नामेंट के वर्कलोड के अनुसार तैयार होती है. तकनीक की मदद से, आप कितने ओवरों की गेंदबाजी कर रहे हैं, इसे ट्रैक कर सकते हैं और हर डिलीवरी में किए गए प्रयास को भी जान सकते हैं, ”तुषार ने बताया.
फिटनेस ट्रेनिंग के साथ-साथ तुषार अपने कौशल के स्तर पर काम करने के लिए बहुत सारे ट्रेनिंग ड्रिल्स भी करते हैं.
तुषार नियमित रूप से 1x4 फुट की मैट पर टारगेट गेंदबाज़ी करते हैं, जिससे उन्हें गेंदबाज़ी करने के लिए एक टारगेट क्षेत्र मिलता है. उनका कहना है कि पिच के विशेष क्षेत्रों में हिट करने का अभ्यास करना महत्वपूर्ण है. ए-स्किप्स, बी-स्किप्स, सी-स्किप्स जैसे नियमित रनिंग ड्रिल्स के अलावा, यहां पांच अन्य ट्रेनिंग ड्रिल्स तुषार ने तेज गेंदबाज़ों के लिए सुझाए हैं.

बैंडेड रन

राजस्थान रॉयल्स के प्रशिक्षण सत्र के दौरान बैंडेड रन अभ्यास करते राहुल तेवतिया.

बैंडेड रन ड्रिल्स

© स्टीव डिसूजा

यह बेहद ही पॉपुलर ट्रेनिंग ड्रिल है जो आपके रन-अप को बेहतर बनाने में मदद करता है. रेजिस्टेंस बैंड का एक सिरा आपके शरीर से जुड़ा होता है जबकि दूसरा एक एंकर प्वॉइंट से जुड़ा होता है. एंकर प्वॉइंट के बजाय, एक ट्रेनिंग पार्टनर या कोच बैंड के दूसरे छोर को भी पकड़ सकता है. आपके कूल्हे और पैर की मांसपेशियों में ताकत और सहनशक्ति बनाने में मदद करने के लिए एंकर प्वॉइंट से दौड़ते हुए ड्रिल किया जाता है.
"तेज गेंदबाज़ी के लिए मेरी पसंदीदा ड्रिल बैंडेड रन ड्रिल है जहां मेरे ट्रेनर पीछे से रेजिस्टेंस बैंड को पकड़ते हैं और यह मेरे कूल्हे से जुड़ा होता है. वे पीछे से खींचकर थोड़ा रेजिस्टेंस प्रदान करता है और मैं लगभग 20 मीटर की दूरी के लिए घुटने ऊपर तक ले जाने वाली दौड़ करता हूं. यह मेरे रन-अप में मदद करता है, विशेष रूप से रन-अप के एक्सीलरेशन दौरान, ”तुषार कहते हैं.

पैराशूट स्प्रिंट

राहुल तेवतिया राजस्थान रॉयल्स के ट्रेनिंग सेशन के दौरान पैराशूट स्प्रिंट करते हुए.

पैराशूट स्प्रिंट

© स्टीव डिसूजा

यह बैंडेड रन ड्रिल के समान ही है. यहां, प्रतिरोध प्रदान करने के लिए एक हार्नेस के माध्यम से एक पैराशूट आपके साथ जुड़ा हुआ होता है और आप यह ड्रिल करते समय स्प्रिंट लगाते है. यह ड्रिल तेजी से एक्सीलरेशन उत्पन्न करने के लिए फंक्शनल पावर बनाने में मदद करती है.
"मैं एंड्योरेंस और कंडीशनिंग के लिए पैराशूट स्प्रिंट की अनुशंसा करता हूं. अगर कोई पैराशूट उपलब्ध नहीं है, तो आप अपनी कमर के चारों ओर रेजिस्टेंस बैंड बांधकर भी इस कार्य को कर सकते हैं, ”वे कहते हैं.

सिंगल-लेग बैलेंस टेस्ट

सिंगल-लेग बैलेंस टेस्ट में, किसी को एक टाइमर सेट करके, एक पैर पर बिना सहारे के खड़ा होना पड़ता है. अगर आप कम से कम 10 सेकंड के लिए भी वन-लेग स्टैंड करने में नाकाम होते हैं, तो आपको चोट लगने का अधिक खतरा होता है. तुषार इस ड्रिल के महत्व के बारे में बताते हैं.
“हम सिंगल लेग बैलेंस टेस्ट करते हैं क्योंकि तेज गेंदबाज़ी सिंगल लेग एक्टिविटी है. स्प्रिंटिंग या बॉलिंग या आपके फॉलो-थ्रू में, किसी समय, आपके पूरे शरीर का वजन एक ही पैर पर होता है. इसलिए पैरों को अलग-अलग मजबूत करना बहुत जरूरी है. सिंगल-लेग बैलेंस टेस्ट यह भी निर्धारित करता है कि गति में नहीं होने पर आप कितने स्थिर हैं. यह एक्सरसाइज चोट की संभावना को भी कम करता है, ”तुषार कहते हैं.

वेटेड बॉल ड्रिल

वेटेड बॉल ड्रिल में तुषार नेट्स में भारी सीज़न बॉल या सैंड बॉल का इस्तेमाल करते हैं.
"वेटेड बॉल ड्रिल आपके आर्म स्पीड को बढ़ाने में मदद करता है. आप इसके लिए 260 या 300 ग्राम रेत की गेंद का उपयोग कर सकते हैं, ”वे कहते हैं.

पावर एक्सरसाइज

पावर एक्सरसाइज जैसे हैंग क्लीन, क्लीन एंड जर्क, मेड बॉल स्लैम, या अगर कोई उपकरण उपलब्ध नहीं है, तो साधारण बॉक्स जंप भी आपके शरीर को सक्रिय रखने में मदद कर सकते हैं. ये उस दौरान भी काफी मददगार होते हैं जब आप अपने शरीर पर बहुत अधिक भार नहीं डाल सकते.
"ये सभी पावर एक्सरसाइज आपके निचले शरीर में स्ट्रेंथ बढ़ाती हैं और आपके शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने में मदद करते हैं. जब लॉकडाउन के दौरान जिम की सुविधा नहीं थी, तो मैंने घर पर ही बॉक्स जंप किया,” वे कहते हैं.

तुषार के कुछ और टिप्स

तुषार के अनुसार, एक तेज गेंदबाज़ को एक बहुत अच्छा एथलीट होने की जरूरत है, और एक अच्छे एथलीट को पता होना चाहिए कि सही तकनीक में कैसे स्प्रिंट करना है.
"स्प्रिंटिंग करना तेज गेंदबाज़ी के लिए एक बहुत अच्छा ट्रेनिंग ड्रिल है. अगर आपके पास दौड़ने के दौरान अच्छी स्प्रिंटिंग यांत्रिकी और स्थिरता है, तो आप निश्चित रूप से तेज, सटीक और लंबे समय तक गेंदबाज़ी कर सकते हैं. अगर आपके रन-अप में अच्छा ट्रेनिंग यांत्रिकी है, तो आप कम थकेंगे और आपका शरीर अधिक प्रभावी होगा," वे बताते हैं.
तुषार ने वर्कलोड मैनेजमेंट के महत्व पर भी जोर दिया, यह बताते हुए कि तेज गेंदबाज़ों को प्रैक्टिस और मैच में कितनी गेंदबाज़ी करते हैं, इसका भी संतुलन बनाए रखना आवश्यक है.
“मुझे लगता है कि एक तेज गेंदबाज़ व्यक्तिगत रूप से बल्लेबाज़ों या स्पिनरों से अलग होता है, इसलिए एक तेज गेंदबाज़ को कितने घंटे ट्रेन करनी चाहिए यह उसके वर्कलोड पर निर्भर करता है. इसे ठीक से मैनेज करना होगा. आप किसी तेज गेंदबाज़ को एक दिन में 20 ओवर फेंकने और अगले दिन ऐसा ही करने के लिए नहीं कह सकते. इससे वे कमजोर हो जाएंगे और चोट लगने की संभावना बढ़ जाएगी. गेंदबाज़ी की प्रभावशीलता भी कम होगी. ऑफ सीज़न में एक तेज गेंदबाज़ थोड़ा पुश कर सकता है क्योंकि तभी वह सीज़न की तैयारी कर रहा होता है. लेकिन मैचों के बीच एक तेज गेंदबाज़ के वर्कलोड को मैनेज करना होता है. ऑफ सीजन में, आप मल्टी-डे गेम्स की तैयारी के लिए सप्ताह में तीन बार 12 से 14 ओवर गेंदबाज़ी कर सकते हैं. फॉर्मट में बदलाव के साथ, आपको ट्रेनिंग वर्कलोड भी थोड़ा कम करना चाहिए. आप एक के बाद मैच खेल रहे हैं, तो प्रैक्टिस में ओवरों की संख्या कम होनी चाहिए, ”तुषार कहते हैं.