League of Legends Worlds finals 2020.
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लीग ऑफ लेजेंड्स की रैंकिंग सिस्टम को समझें

लीग ऑफ लेजेंड्स में खिलाड़ी कैसे रैंकिंग की सीढ़ी चढ़ते हैं.
जोनाथन डीसिंग (मूल अंग्रेजी से अनुवादित लेख) द्वारा लिखित
5 मिनट पढ़ेUpdated on
प्रोफेशनल लीग प्लेयर्स को भी कहीं से शुरुआत तो करनी ही पड़ती है, हालांकि वे शुरुआत के सीजंस से खेल रहे हैं, लेकिन नए खिलाड़ी भी हमेशा ऊपर आते रहते हैं.
कॉलेज या छोटे स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को प्रोफेशनल टीम में मौका नहीं मिल पाता. तमाम लीग ऑफ लेजेंड्स प्रो रैंकिंग्स में आगे बढ़कर मास्टर, ग्रांडमास्टर या सबसे ऊपर की रैंक पर पहुंचकर चैलेंजर बन चुके हैं.

LOL रैंकिंग की व्याख्या

हर खेल की तरह ईगेम्स में भी आप अपनी बराबरी के इंडिविजुअल के साथ खेलते हैं. एक जैसी योग्यता के कारण आप एक ही टूर्नामेंट में क्वॉलिफाई करने के लिए खेलते हैं. पेशेवर खेलों में आप ऐसी टीम के खिलाफ़ खेलते हैं जो पहले ही आपकी विरोधी बन चुकी होती है, लिहाज़ा लीग ऑफ लेजेंड्स में भी एक रैंकिंग सिस्टम है.
रैंकिंग सिस्टम एक जैसी योग्यता वाले खिलाड़ियों को एक दूसरे के खिलाफ़ खेलने की अनुमति देता है. इससे नए खिलाड़ी पुराने धुरंधरों से बचे रहकर दृश्य में बने रहते हैं.
A picture of League of Legends mid lane

Do you have what it takes to scale League of Legends ranks?

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लीग ऑफ लेजेंड्स टियर्स बनाम डिवीज़ंस

LOL रैंकिंग सिस्टम में नौ टियर्स और चार डिवीजंस हैं. जब कोई खिलाड़ी लेवल 30 तक पहुंच जाए और 16 या इससे ज़्यादा चैंप्स अपने नाम कर ले तो उसकी रैंक्ड प्लेसमेंट गेम्स खेलने की योग्यता हो जाती हैं. किसी भी खिलाड़ी को 10-गेम की प्रोविज़नल सीरीज़ के बाद ब्रॉन्ज़ या सिल्वर टियर और डिवीज़न में जगह दी जाती है. गोल्ड रैंक का मिलना जीत की संख्या पर निर्भर करता है.

लीग ऑफ लेजेंड्स टियर्स

लीग ऑफ लेजेंड्स के नौ टियर्स में शामिल हैं – आयरन, ब्रॉन्ज़, सिल्वर, गोल्ड, प्लैटिनम, डायमंड, मास्टर, ग्रैंडमास्टर और चैलेंजर. ज़्यादातर वर्तमान प्लेयर्स आयरन, ब्रॉन्ज़, सिल्वर या गोल्ड टियर में हैं. इससे LOL कितना मुश्किल है इसका भी पता चलता है.

लीग ऑफ लेजेंड्स डिवीज़ंस

हर डिवीज़न में नंबर एक से चार तक डिवीज़ंस हैं, जिसमें एक सर्वश्रेष्ठ डिवीजन है. अंतिम तीन टियर्स मास्टर, ग्रैंडमास्टर और चैलेंजर को डिवाइड नहीं किया गया है.
डिवीज़ंस और बाद में टियर्स में आगे बढ़ने के लिए आपको बेस्ट-ऑफ सीरीज़ में जीतने की ज़रूरत होती है. तीन गेम्स से डिवीज़न जंप मिलती है और पांच से टियर. इसे रैंकिंग लैडर कहते हैं.
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Climb Riot's ladder to reach the League of Legends pros

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मास्टर, ग्रैंडमास्टर और चैलेंजर टियर्स में पहुंचना

पीछे के तमाम डिवीज़ंस की फाइट्स को पार करने के बाद कोई खिलाड़ी मास्टर टियर में पहुंचता है. 2014 के बाद से किसी भी खिलाड़ी के फाइनल दो टियर्स में पहुंचने के लिए मास्टर अंतिम बाधा है. स्किल लेवल में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए 2018 में ग्रैंडमास्टर को जोड़ा गया.
इन दो टियर्स के जोड़ने से गेम की रैंकिंग सिस्टम की पारदर्शिता काफी बढ़ गई. किसी भी क्षेत्र में चैलेंजर में 200 तक खिलाड़ी होते हैं. अब खिलाड़ी को डायमंड से मास्टर या ग्रैंडमास्टर में मूव करने के लिए प्रमोशन सीरीज़ को जीतना पड़ता है.
वैसे खिलाड़ी जो मास्टर या उससे ऊपर की टियर में पहुंच चुके हैं, टोटल लीग प्वॉइंट्स (LP) के लिए कंपीट कर सकते हैं. हर 24 घंटे के बाद, योग्य खिलाड़ियों को मास्टर या ग्रैंड मास्टर की रैंक दी जाती है. वे LP के आधार पर खुद से बेहतर खिलाड़ी को पीछे छोड़कर आगे बढ़ सकते हैं.
League of Legends character artwork

Understand the LoL ranked system to become a true pro

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चैंलेंजर टियर एक बड़ा मंच है. इसमें हर क्षेत्र के टॉप 200 प्लेयर्स होते हैं, ये टियर पेशेवर औऱ आगामी पेशेवर खिलाड़ियों का घर है. चैलेंजर में पहुंचने के बाद खिलाड़ी रडार पर होता है, और यहां रिप्लेसमेंट या सब्स्टीट्यूट की आवश्यकता होने पर उसे इसी टियर से हासिल करना पड़ता है.
रैंक्ड टीम्स को चैलेंजर तक पहुंचने से पहले उसे एक अकेला खिलाड़ी के तौर पर हैंडल किया जाता है, इसके लिए सिर्फ 50 जगह बनाए गए हैं बहरहाल, मास्टर, ग्रैंडमास्टर टियर में महात्वाकांक्षी प्रो टीम्स की प्रैक्टिस के लिए काफी जगह है.

LOL का रैंकिंग डिस्ट्रीब्यूशन

लीग ऑफ लेजेंड्स का एक साल में एक सीज़न होता है, ये जनवरी में शुरू होकर नवंबर, दिसंबर तक चलता है. हर सीज़न के शुरू होने से पहले लीग ऑफ लेजेंड्स अपना रैंकिंग डिस्ट्रीब्यूशन रिलीज़ करता है. वर्तमान सोलो प्ले का डिस्ट्रीब्यूशन ऐसा है:
  • आयरन 7.1%
  • ब्रॉन्ज़ 22%
  • सिल्वर 35%
  • गोल्ड 23%
  • प्लैटिनम 7.9%
  • डायमंड 2.5%
  • मास्टर 0.32%
  • ग्रैंडमास्टर .040%
  • चैलेंजर .017%
Seven tiers, from bronze to challenger in the League of Legends ranking system.

Seven tiers in the LoL ranking system

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हर साल ये डिस्ट्रीब्यूशन लगभग एक जैसा ही रहता है, और ज़्यादातर खिलाड़ी ब्रॉन्ज़, सिल्वर और गोल्ड रैंक में ही नज़र आते हैं.

LoL लीग प्वॉइंट्स (LP) कैसे काम करता है

रैंक की जीत या हार का मतलब है कुछ लीग प्वॉइंट्स यानी LP का ज़्यादा या कम होना. LP की मात्रा को मुश्किल विरोधी या टीममेट्स की रैंकिंग के आधार पर तय किया जाता है. अगर कोई खिलाड़ी किसी डिवीज़न में 100 LP कमाता है तो उसे थ्री-गेम प्रमोशन सीरीज़ में प्रवेश मिल जाता है जहां वह दो जीत हासिल करके एक डिवीज़न ऊपर जा सकता है.
टियर में आगे बढ़ने का तरीका थोड़ा अलग है, यहां खिलाड़ी को तीन गेम्स या बेस्ट ऑफ फाइव जीतने पर नए टियर में प्रवेश मिलता है. उदाहरण के तौर पर अगर कोई खिलाड़ी सिल्वर डिवीज़न 1 में 100 LP कमाता है तो उसे फाइव-गेम टियर प्रमोशन सीरीज़ खेलना होगा ताकि वह गोल्ड टियर के सबसे निचले डिवीज़न में जगह बना सके.
हालांकि ये सिस्टम आसान है लेकिन लैडर क्लाइम्ब करना मुश्किल है. अगर किसी खिलाड़ी का LP किसी डिवीज़न में शून्य हो जाता है और उसके हारने का क्रम जारी रहता है तो उसे डिमोट कर दिया जाता है.
अगर कोई खिलाड़ी प्लैटिनम टियर में जगह बनाकर निष्क्रिय रहता है तो वह LP गंवा सकता है.

मैचमेकिंग रैंक (MMR)की व्याख्या

मैचमेकिंग रैंक एक ऐसी संख्या है जिसे हर खिलाड़ी के स्किल लेवल और हर गेम में वह कितने LP कमाता या गंवाता है, उसके आधार पर आंका जाता हैं. जिस खिलाड़ी का MMR जितना ज़्यादा होगा वह हर गेम में जीत या हार पर उतना ही ज़्यादा LP कमाएगा या गंवाएगा.
Players at the League of Legends World Championship.

High MMR players win more points in victory and lose less in defeat

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सोलो vs. डुओ vs. फ्लेक्स प्ले

किसी भी लीग ऑफ लेजेंड्स गेम को शुरू करने से पहले आपको सोलो या किसी अन्य प्लेयर के साथ डुओ या टीम के साथ फ्लेक्स खेलने का विकल्प दिया जाता है. आप किसे चुनते हैं इसपर आपका रैंक निर्भर करेगा.
मज़े के लिए खेलने वाले खिलाड़ी ज़्यादातर फ्लेक्स चुनते हैं. वहीं रणनीतिक गेमप्ले वाले खिलाड़ी सोलो या डुओ का चुनाव करते हैं जिससे उन्हें डिवीज़न के अंदर ऊपर के टियर में जाने में मदद मिलती है.
लीग ऑफ लेजेंड्स में हर महीने 80 मिलियन से ज़्यादा खिलाड़ी हैं. इसकी लोकप्रियता में इसके रैंकिंग सिस्टम का बड़ा योगदान है.